शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

यही चाह / Yahi Chah

समस्त बाधाओं को समाप्त करने
हर पीड़ा का निवारण करने
मेरे रुकते जीवन को गति देने
हर सीमा को लाँघ कर
तुम उतर आओगी
मेरे जीवन में,
मेरे मन-उपवन में!

मन कुछ उदास भी है
एक हलकी -सी प्यास भी है
और....और...
तुमसे एक आस भी है.....
कि....कि....तुम
करोगी ये अनुकम्पा
ये अहसान
ये मेहरबानी
कि बन कर
एक मदमस्त नदिया
आन गिरोगी
मेरे हृदय के लघु-सागर में!

सर्वत्र होगा-
प्रेम, चाह
तुम्हारा मन-मोहक स्वरुप
और
उसी दृश्य के एक भाग में
हूँगा मैं......
एक पागल की भांति
खोया-खोया!

पुलकित मन
हर्षित आत्मा
रोमांचित रोम-रोम
रेशा- रेशा!

हाँ! ठीक ऐसा!
ठीक ऐसा ही होगा
जब मिलोगी तुम
मुझसे आकर-

कुछ हया
कुछ वफ़ा
कुछ आह
एक नई राह!
यही चाह,
बस! यही चाह!!

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