रविवार, 28 अगस्त 2011

लिया आज अन्ना ने अन्न

जन-गण-मन है आज प्रसन्न
लिया आज अन्ना ने अन्न!
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१२ दिन का वो अन्न-त्याग
नेताओं की भागम-भाग
दिल्ली गाए अपना राग
लहराए जनता परचम
लिया आज अन्ना ने अन्न!
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शाही माता हो बीमार
चली सात दरिया के पार
इधर चिंघाड़े राजकुमार
राजा की नब्जें मध्यम
लिया आज अन्ना ने अन्न!
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अन्ना बिल जब पास हुआ
जनता में उल्लास हुआ
उल्लासित आकाश हुआ
जन-गण ने छेड़ी सरगम
लिया आज अन्ना ने अन्न!
......(प्रवेश गौरी 'नमन')

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

एक-एक बदला लेना है

एक-एक बदला लेना है, संसद के गद्दारों से
अपने हाथ कटाते आये, हम अपने हथियारों से!
हमने ख़ुद अपने हाथों से, जिसको अपना राज दिया,
उनके आगे हाथ पसारें, हम ख़ुद ही लाचारों-से!!

ओए क्या बात हो गयी

छुप गए नेता सारे ओए क्या बात हो गयी
अन्ना जी जो पधारे करामात हो गयी!!
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मुरली मनमोहन
न गाए तराने
सोनी के नखरे भी पुराने!
एक वो दिन था के रोज़ नए गाने थे
सजते रात और दिन में मयखाने थे
जाम बने अंगारे ओए क्या बात हो गई
जैसी करनी की वैसी हालात हो गयी!!
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अम्बुआ की डाली
पे सोनी मतवाली
मोहन कर रहे रखवाली
महाभारत में रामायण का भी आना हुआ
शासक को बनवास का करना बहाना हुआ
सिंह भरत पादुका सम्भारे ओए क्या बात हो गई?
सिंह जी अब कर लो छुट्टी, पूरी जमात हो गई!!
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छुप गए नेता सारे ओए क्या बात हो गयी
अन्ना जी जो पधारे करामात हो गयी!!
.............. (प्रवेश गौरी 'नमन')


अन्ना जी

भारत वासी थे बे-सहारे अन्ना जी!
धन्यवाद् जो आप पधारे अन्ना जी!
राष्ट्रहित में जो लोकपाल बिल लाये हो
फैले हैं मन में उजियारे, अन्ना जी!
अब जनता अपने हाथों इन्साफ करे,
राजा है गद्दार, हमारे अन्ना जी!
नेताओं की चाल डरावा है कोरा
मरता साँप सदा फुफकारे अन्ना जी!
'नमन' आपको, मातृभूमि के जननायक,
सत्य, अहिंसा के रखवारे अन्ना जी!
-----(प्रवेश गौरी 'नमन')


आव नहीं, ताव नहीं

आव  नहीं, ताव नहीं, मोल नहीं, भाव नहीं
बस थोड़ा मस्का लगाया, मिल जाएगी!
एक बार मिली पाँच साल बैठ राज करूँ
नेता सोचे मेरी किस्मत खिल जाएगी
कुर्सी पे कब्ज़ा हो सत्ता हाथ में हो मेरे
जैसे भी पिलाऊंगा मैं वैसी पिल जाएगी
पर अब अन्ना जी की तुझको चुनौती है ये
भ्रष्टाचारी तेरी सारी नींव हिल जाएगी!!!
.....................(प्रवेश गौरी 'नमन')

मिटाने तानाशाही

तानाशाही, नौकरशाही, भ्रष्ट और घूसखौर
संसद पर रहता सदा, इन लोगों का जोर
इन लोगों का जोर, शोर मत करना भैया
न्याय खड़ा कर जोड़, भ्रष्टों की ता-थैया
जनता हो मजबूर, चली दिल्ली की राही
जन लोकपाल बिल से मिटाने तानाशाही!
...........................(प्रवेश गौरी 'नमन')

अन्ना जी का बिल

पारित कैसे हो सके अन्ना जी का बिल
दल के दलदल में फंसा है दिल्ली का दिल
है दिल्ली का दिल, पेंच पे पेंच लगता
राजा चुप है, उसे दुलारे शाही माता
कोई इस संचार को कर दो संचारित
दिल्ली निज हित त्याग करे अन्ना बिल पारित!!
.................... (प्रवेश गौरी 'नमन')

उसको आँख दिखाए

जिसके एक इशारे पे, जागा पूरा आवाम
दिल्ली खुलकर लगा रही, अन्ना पर इल्ज़ाम
अन्ना  पर इल्ज़ाम, कहे करता मनमानी
सरकारी बिल लेने में, है क्या नादानी?
कुर्सी के मद चूर, बात न समझ में इसके
उसको आँख दिखाए, सारी जनता संग जिसके!
......................(प्रवेश गौरी 'नमन')

शायरी



तेरी मीठी याद में करता हूँ शायरी!
तेरी दाद की इमदाद में करता हूँ शायरी!

मैं रिंद हूँ

मैं रिंद हूँ , तेरी आँखें हैं मेरा पैमाना
तेरे होठों की सुराही, बदन का मयखाना
मुझसे मत पूछ, दीवाने कहाँ पे रहता है
मैं हूँ पागल, तेरा दिल है मेरा पागलखाना
...............प्रवेश गौरी 'नमन'