बुधवार, 2 नवंबर 2011

बाद में / Bad Me

जिस दिन से मैंने किये साल अठारह पार
घर वाले और बाहर वाले पीछे पड़ गए यार

जेब में गोत्र लिए फिरते हैं
शादी के चर्चे करते हैं

मैं कहता हूँ- मुझे नौकरी पार लग जाने दो पहले
लेकिन बातों में तो वो सब मारते हैं नहले पर दहले

कहते हैं- अच्छा रिश्ता है, दहेज़ में खूब मिलेगा माल
नौकरी की भी मांग नहीं है कर लेना चाहे अगले साल

अब मैं इन सब बातों से बचता रहता हूँ
कोई ज़िक्र करे तो उसको ये कहता हूँ-

बिना नौकरी कर लूं शादी
ऐसा मैं भी नहीं अनाड़ी!
पहले पांव पे खड़ा तो हो लूँ
बाद में मारूंगा कुल्हाड़ी!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. जब मुर्गा सस्ते में मिल रहा हो तो उसके मंहगे होने का इन्तजार क्यों?

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  2. अच्छी सोच के साथ बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी.
    पैरों पर खड़े होकर कुल्हाड़ी मारने की मत सोचियेगा.
    परन्तु ब्रह्मचर्य (२५ वर्ष) पूर्ण होने पर पैर जमा कर
    गृहस्थ में प्रवेश कीजियेगा.

    आपको पढ़ना अच्छा लगा.आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है

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  3. सुन्दर और रोचक पोस्ट प्रवेश भाई

    संजय भास्कर
    फतेहाबाद
    हरियाणा
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  4. धन्यवाद्, संदीप पंवार जी!
    बात आपकी बिलकुल सही है....
    अक्सर यही सोचा जाता है....
    हा हा हा....

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  5. धन्यवाद्, राकेश कुमार जी!
    सही बात कही....
    परन्तु, अपने निमंत्रण अधूरा दिया....
    आपके ब्लॉग का लिंक भी साथ दे दें तो अच्छा रहेगा....

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  6. धन्यवाद्, संजय भास्कर जी!
    आपकी मुस्कराहट को सलाम!
    आपके लिंक पर शीघ्र दौरा करूंगा.....

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