जिस दिन से मैंने किये साल अठारह पार
घर वाले और बाहर वाले पीछे पड़ गए यार
घर वाले और बाहर वाले पीछे पड़ गए यार
जेब में गोत्र लिए फिरते हैं
शादी के चर्चे करते हैं
मैं कहता हूँ- मुझे नौकरी पार लग जाने दो पहले
लेकिन बातों में तो वो सब मारते हैं नहले पर दहले
कहते हैं- अच्छा रिश्ता है, दहेज़ में खूब मिलेगा माल
नौकरी की भी मांग नहीं है कर लेना चाहे अगले साल
अब मैं इन सब बातों से बचता रहता हूँ
कोई ज़िक्र करे तो उसको ये कहता हूँ-
बिना नौकरी कर लूं शादी
ऐसा मैं भी नहीं अनाड़ी!
पहले पांव पे खड़ा तो हो लूँ
बाद में मारूंगा कुल्हाड़ी!!
जब मुर्गा सस्ते में मिल रहा हो तो उसके मंहगे होने का इन्तजार क्यों?
जवाब देंहटाएंअच्छी सोच के साथ बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंपैरों पर खड़े होकर कुल्हाड़ी मारने की मत सोचियेगा.
परन्तु ब्रह्मचर्य (२५ वर्ष) पूर्ण होने पर पैर जमा कर
गृहस्थ में प्रवेश कीजियेगा.
आपको पढ़ना अच्छा लगा.आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है
सुन्दर और रोचक पोस्ट प्रवेश भाई
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
फतेहाबाद
हरियाणा
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
धन्यवाद्, संदीप पंवार जी!
जवाब देंहटाएंबात आपकी बिलकुल सही है....
अक्सर यही सोचा जाता है....
हा हा हा....
धन्यवाद्, राकेश कुमार जी!
जवाब देंहटाएंसही बात कही....
परन्तु, अपने निमंत्रण अधूरा दिया....
आपके ब्लॉग का लिंक भी साथ दे दें तो अच्छा रहेगा....
धन्यवाद्, संजय भास्कर जी!
जवाब देंहटाएंआपकी मुस्कराहट को सलाम!
आपके लिंक पर शीघ्र दौरा करूंगा.....
its nice ............kep it up
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्, Anjali जी!
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