बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

दीपावली की मधुर रात / Deepawali Ki Madhur Raat

दीपावली की मधुर रात!
दीप-दीप विचरित होते
सब ले हाथों में हाथ!
दीपावली की मधुर रात!!

अनार फुहार बरखा भांति मन को हर्षाए
उड़-उड़ कर अतीष दामिनी-सम बन जाए
घन गर्जन करते रहते पटाखे साथ-साथ!
दीपावली की मधुर रात!

समा बंधा ज्यों उतर धरा पर गए सितारे
रंग बिरंगी तितली उड़े ज्यों पंख पसारे
ज्यों बगिया दे मन भावन फूलों की सौगात!
दीपावली की मधुर रात!

लिपा-पुता जगमग करता घर का पूजाघर
पूजन-भजन सभी करते हैं, संग में मिलकर
धुप, दीप, ताम्बूल, पुष्प, मिष्टान्न, पान का पात!
दीपावली की मधुर रात!

वो बच्चों की गूँज हाथ में वो फुलझड़ियाँ
भावना की डोर से बंधती मन की कड़ियाँ
आँखों ही आखों में करते मन से मन की बात!
दीपावली की मधुर रात!

एकरंग हो गये मिल कर दुनिया के सब रंग
एक हूँ मैं बेरंग ओ साथी तू न जिसके संग
तू न मेरे साथ, यही मेरी पीड़ा की बात!
पल-पल करती रही विरंची मुझपे कुठाराघात!!
दीपावली की मधुर रात!!

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