ग़ज़ल गुरु (غزل گورو)
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शुक्रवार, 26 अगस्त 2011
एक-एक बदला लेना है
एक-एक बदला लेना है, संसद के गद्दारों से
अपने हाथ कटाते आये, हम अपने हथियारों से!
हमने ख़ुद अपने हाथों से, जिसको अपना राज दिया,
उनके आगे हाथ पसारें, हम ख़ुद ही लाचारों-से!!
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