शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

अब / Ab

कोई पत्थर कहाँ से बने ताज अब,
हाथ कटते हमेशा हुनर के लिए!
कैसे उड़ने की हिम्मत परिंदा करे,
काट डाला जिसे बाल-ओ-पर के लिए!

1 टिप्पणी:

  1. हरियाणवी बोली को समर्पित मेरा ब्लॉग "हरियाणा और हरियाणवी"
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