ग़ज़ल गुरु (غزل گورو)
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शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011
हक़ / Haq
चाँद पर हक़ मेरा इतना है, उसको देख लेता हूँ !
उसे पाने की चाहत का भी मुझको हक़ मयस्सर कब?
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